डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, को भूस्थानिक तकनीक जियोस्पेसियल तकनीक में राष्ट्रीय भूस्थानिक मिशन के तहत आईआईटी मुंबई के द्वारा सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय घोषित किया गया है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पी एस पांडेय ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि विश्वविद्यालय के प्रयासों को देश के बेहतरीन संस्थान और सरकार के मिशन द्वारा पुरस्कृत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय डिजिटल एग्रीकल्चर में देश भर में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहा है। विश्वविद्यालय का प्रयास है कि वो अन्य विश्वविद्यालयों को भी सहयोग करे ताकि डिजिटल कृषि तकनीको को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचा जा सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक दिन रात काम करते हैं। वैज्ञानिक और कर्मचारी टीम भावना से लगातार कार्य कर रहे हैं, इसी का परिणाम है कि विश्वविद्यालय तेजी से प्रगति कर रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने देश भर में आधारभूत भू-स्थानिक अवसंरचना और डेटा विकसित करने के लिए केंद्रीय बजट 2025-26 में राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन की घोषणा की है। यह मिशन पीएम गति शक्ति ढांचे का लाभ उठाकर भूमि रिकॉर्ड के आधुनिकीकरण, शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के डिजाइन की सुविधा प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय आईआईटी मुंबई के साथ एक समझौता भी कर रहा है जिसके तहत छात्रों को इंटर्नशिप के साथ साथ जॉब दिलाने में भी आईआईटी मुंबई मदद करेगा। निदेशक अनुसंधान डॉ ए के सिंह ने कहा कि भूस्थानिक तकनीक से नवाचार को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इससे बेहतर निर्णय लेने और संसाधन आवंटन के लिए एआई, जीआईएस और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आईआईटी मुंबई की टीम ने तीन दिन तक विश्वविद्यालय में रहकर सर्वे किया जिसके बाद डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय को सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया है।
कार्यक्रम के दौरान आईआईटी मुंंबई द्वारा संचालित एवं 'नेशनल एजूकेशन मिशन आन एजूकेशन थ्रू आईसीटी', शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित FOSSEE GIS परियोजना के राष्ट्रीय समंवयक डॉ कासिम खान ने लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में डिजिटल एग्रीकल्चर के तहत कई कार्य चल रहे हैं जो आने वाले समय में कृषि में एक नई क्रांति लाने में सफल हो सकता है। उन्होंने कहा कि कुलपति डॉ पांडेय विश्वविद्यालय के अनुसंधान को एक नई दिशा दे रहे हैं जो कई दशकों तक कृषि को प्रभावित करेंगे। आईं आईआईटी मुंबई के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ पी चिन्नासामी ने कहा कि अनुसंधान में काफी समय लगता है और धैर्य की आवश्यकता होती है।
कुलपति डॉ पांडेय अनुसंधान को जिस कुशलता से बेहतर कर रहे हैं उसका परिणाम तुरंत नहीं पता चलेगा लेकिन कुछ वर्षों के बाद लोगों को उनके प्रयासों के परिणाम प्राप्त होंगे। डीन इंजीनियरिंग डॉक्टर राम सुरेश वर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के विकास को लेकर में कुलपति डॉ पांडेय लगातार निर्णय ले रहे हैं और अथक परिश्रम कर रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय को देश भर के प्रतिष्ठित संस्थानों के द्वारा मान्यता दी जा रही है। कार्यक्रम के दौरान डॉ कासिम खान ने एक लेक्चर भी दिया और प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर भी दिया।
मंच संचालन डॉ राम कुमार साहू ने किया।धन्यवाद डॉ रवीश चंद्रा ने किया l कार्यक्रम के दौरान पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ राकेश मणि शर्मा, डॉ एस के जैन, डॉ सुदर्शन प्रसाद, ई मनोज कुमार , डॉ घनश्याम झा, डॉ कुमार राज्यवर्धन समेत विभिन्न शिक्षक वैज्ञानिक, पदाधिकारी एवं छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे।